हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली ख़ामनेई ने कहां,तर्ज़े ज़िंदगी की जो बात हमने पेश की, वह बड़ा अहम विषय है। जीवन शैली के अनेक मैदान हैं, ईरानी क़ौम के दुश्मनों और इस्लाम के दुश्मनों के सबसे अहम लक्ष्यों में से एक यह है कि मुसलमानों के तर्ज़े ज़िंदगी को बदल दें और उसे अपनी जीवन शैली के मुताबिक़ ढाल दें।
ज़िंदगी की सच्चाइयां, इंसान की सोच पर असर डालती हैं, रोज़ाना का तर्ज़े अमल इंसान के दिल और रूह पर असर डालता है ख़ुद इंसान की रूह पर भी और उसके साथ रहने वालों और उसको सुनने वालों पर भी- वो लोग उसे बदलना चाहते हैं।
इस्लाम हमारे लिए एक तर्ज़े ज़िंदगी लाया है। मिसाल के तौर पर अदब। अहम कामों में से एक अदब है। पश्चिम वाले अपनी आम ज़िंदगी में अदब का बहुत ख़याल नहीं रखते, हम ईरानी प्राचीन काल से ही इस बात के लिए मशहूर थे कि हम अपनी वार्ता और बात-चीत में अदब का ख़याल रखते हैं, दूसरों की इज़्ज़त करते हैं, ये लोग उसे बदलना चाहते हैं और अफ़सोस कि कुछ स्थानों पर वो कामयाब भी रहे हैं।
इमाम ख़ामेनेई,